Central/Medieval part 2 History of Kahar ...Brahmin Conspiracy......and our courege in indian histroy
नमस्कार साथियो जैसा की हमने पिछले भाग मे कुछ बातों को जाना और समझा की हमारी सरकारी स्थिति क्या और क्यौ है । आगे हम उनमे से कुछ मुद्दो को विस्तार से जानेंगे । जिसमे पहला मुद्दा सवर्णों का षणयंत्र हम इस मुद्दे को विस्तर से समझेंगे जो मेरा अपना विचार और पिछले सालो के सामाजिक अवलोकन है जिसे देश के ज्यादातर संगठन के अग्रणी कार्यकर्ता भी स्वीकार चुके है।
मैं आपको पहले हमारे पराक्रमो के बारे मे बताता हु जिसमे
मैं आपको पहले हमारे पराक्रमो के बारे मे बताता हु जिसमे
दशरथ मांझी को पूरी दुनिया जानती है की उन्हों ने किस प्रकार से सिर्फ एक छीनी और हथौड़ी से पुर पहाड़ को कट कर पब्लिक के लिए रास्ता बनाया जीसे आप इस लिंक पर जाकर विडियो के माध्यम से जान सके है। www.youtube.com/watch?v=plMRGMkCUAs इस विडियो के सभी मान सम्मान और आर्थिक हिस्सेदारी मे मेरा
किसी भी प्रकार का योगदान नहीं है और मैं लेना भी नहीं चाहता हु किसी भी
प्रकार के वाद विवाद के लिए इस विडियो के यूट्यूबर महोदय का संपर्क करे मैं
इसे सिर्फ समाज को जागृत और एतिहासिक जानकारी देने के लिए इसका सहयोग
लिया है जिससे मैं किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं लूँगा ।
इसी कड़ी मे तिलका मांझी की शहादत भी शामिल है जिसेभारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेर्स ने भी लोगो के सामने यूट्यूब के माध्यम से रखा है https://www.youtube.com/watch?v=0MgP9zSkmeQ इस विडियो के सभी मान सम्मान और आर्थिक हिस्सेदारी मे मेरा किसी भी प्रकार का योगदान नहीं है और मैं लेना भी नहीं चाहता हु किसी भी प्रकार के वाद विवाद के लिए इस विडियो के यूट्यूबर महोदय का संपर्क करे मैं इसे सिर्फ समाज को जागृत और एतिहासिक जानकारी देने के लिए इसका सहयोग लिया है जिससे मैं किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं लूँगा ।
बैंडिट क्वीन कही जाने वाली फूलन देवी मल्लाह का संघर्ष भरा जीवन हम सभी के सामने एक फिल्म के रूप मे उजागर हो चुका है जो मिर्जापुर के सांसद के तौर पर समाज सेवा तक चला फिर 25 जुलाई 2001मे उनकी हत्या के साथ थम गया जिसे आप इस यू ट्यूब के माध्यम से जान सकते है । https://youtu.be/RBSBneEcv-A इस विडियो के सभी मान सम्मान और आर्थिक हिस्सेदारी मे मेरा किसी भी प्रकार का योगदान नहीं है और मैं लेना भी नहीं चाहता हु किसी भी प्रकार के वाद विवाद के लिए इस विडियो के यूट्यूबर महोदय का संपर्क करे मैं इसे सिर्फ समाज को जागृत और एतिहासिक जानकारी देने के लिए इसका सहयोग लिया है जिससे मैं किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं लूँगा ।
इसी कड़ी मे तिलका मांझी की शहादत भी शामिल है जिसेभारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेर्स ने भी लोगो के सामने यूट्यूब के माध्यम से रखा है https://www.youtube.com/watch?v=0MgP9zSkmeQ इस विडियो के सभी मान सम्मान और आर्थिक हिस्सेदारी मे मेरा किसी भी प्रकार का योगदान नहीं है और मैं लेना भी नहीं चाहता हु किसी भी प्रकार के वाद विवाद के लिए इस विडियो के यूट्यूबर महोदय का संपर्क करे मैं इसे सिर्फ समाज को जागृत और एतिहासिक जानकारी देने के लिए इसका सहयोग लिया है जिससे मैं किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं लूँगा ।
बैंडिट क्वीन कही जाने वाली फूलन देवी मल्लाह का संघर्ष भरा जीवन हम सभी के सामने एक फिल्म के रूप मे उजागर हो चुका है जो मिर्जापुर के सांसद के तौर पर समाज सेवा तक चला फिर 25 जुलाई 2001मे उनकी हत्या के साथ थम गया जिसे आप इस यू ट्यूब के माध्यम से जान सकते है । https://youtu.be/RBSBneEcv-A इस विडियो के सभी मान सम्मान और आर्थिक हिस्सेदारी मे मेरा किसी भी प्रकार का योगदान नहीं है और मैं लेना भी नहीं चाहता हु किसी भी प्रकार के वाद विवाद के लिए इस विडियो के यूट्यूबर महोदय का संपर्क करे मैं इसे सिर्फ समाज को जागृत और एतिहासिक जानकारी देने के लिए इसका सहयोग लिया है जिससे मैं किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं लूँगा ।
सूरीनाम की जंग-ए-आज़ादी के नायक- पलटू कहार
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अपने देश भारत में ऐसे भी सूरवीर हुए हैं, जिसने न केवल अपने देश की जंग-ए-आज़ादी में भाग ली, बल्कि दूसरे गुलाम देश को भी बतौर नायक आज़ाद कराया। उन्हीं सूरवीरों में से एक नायक थे-पलटू कहार।इस गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी की बड़ी ही हैरतअंगेज कहानी है। इस हैरतअंगेज सच्ची कहानी का पर्दाफाश तब हुआ,जब उनकी विदूषी और कवयित्री पोती श्रीमती पदमा के पति वहां अभियंता हैं। और 2003 में सूरीनाम में विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इतफाकन उस सम्मेलन में पलटू कहार की पोती श्रीमती पद्मा भी बतौर साहित्यकार उपस्थित थीं। उसने भारतीय कवि एवं साहित्यकार राम वचन राय को अपने दादा पलटू कहार की बहादुरी के हैरतअंगेज कारनामे सुनाए तो सहसा विश्वास नहीं हुआ। मगर सूरीनाम में स्थापित उस आज़ादी के नायक की प्रतिमा देखी तो आश्चर्य भी हुआ और भारतीय होने का गर्व भी।
बिहार के भोजपुर जिले के उदवंत नगर प्रखंड के एड़ौरा गांव में पलटू कहार का जन्म हुआ था। हट्टा कट्टा,निडर और जवान पलटू अंग्रेजी सरकार के खिलाफ उस समय बगावत पर उतर आए जब बंग भंग के खिलाफ भारतीय सपूतों ने आंदोलन का शंखनाद कर दिया था। पलटू से अंग्रेजी सरकार दहशत में थी। फलस्वरूप सुनियोजित तरीके से 25-5-1907 की रात एड़ौरा गांव से पलटू को गिरफ्तार कर लिया। काफी गुपचुप तरीके से की गई इस गिरफ्तारी की हवा गांव वालों को भी नहीं लगी। लोगों ने सोचा कि पलटू पुलिस के भय से अचानक कहीं चले गए या भूमिगत हो गये। इसके बाद उनका कुछ पता नहीं चला।आगे की कहानी पलटू की पोती श्रीमती पदमा ने राम वचन राय को बतलायी। 25-5-1907 को भोजपुर जिले के उदवंतनगर प्रखंड के एड़ौरा गांव से पलटू कहार की गिरफ्तारी के बाद अमानुषिक प्रताड़ना देते हुए गोरी सेना उन्हें लेकर कलकत्ता चली गई, जहां से बाद में उन्हें एक पानी के जहाज- जेस्टिस वन से समुद्र के रास्ते सूरीनाम स्थित अरकुरियन मलाई द्वीप पर ले जाकर छोड़ दिया गया था।
पलटू कई वर्षों तक उस द्वीप पर नर्क की जिंदगी जीते रहे।उसी दौरान लखनऊ के एक परिवार को उस द्वीप पर लाकर छोड़ दिया गया था।उस परिवार की एक महिला से युवा पलटू की शादी हुई और वंशबेल आगे बढ़ी।
कहा जाता है कि तेजस्विता कहीं छुपती नहीं है । जहां भी रहती है, हड़कंप मचाती है। फिर क्रांतिकारी पलटू कहां मानने वाले थे। फलस्वरूप सूरीनाम की जंग-ए-आज़ादी में कूद पड़े। उन्होंने सूरीनाम की जंग-ए-आज़ादी को एक नई दिशा और तेवर दिया। देखते देखते पलटू सूरीनाम की जंग-ए-आज़ादी के नायक बन चुके थे।
द्वितीय भाग
सूरीनाम के स्वतंत्रता आंदोलन के हीरो बन चुके पलटू के संघर्ष की कहानी सूरीनाम के स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित दस्तावेजों और वहां के इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।इतना ही नहीं, सूरीनाम में क्रांति नायक पलटू और वीरांगना उनकी लखनवी पत्नी की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई है।आज भले पलटू जीवित नहीं हैं मगर गर्व की बात है कि पलटू की वीरता की कहानियां और संघर्षशील जीवन की निशानियां भोजपुर से लेकर सूरीनाम तक मिलती हैं।
आज की तारीख में पलटू के परिजन नीदरलैंड के डेनहांग शहर में बस गए हैं। वहां उनका अच्छा खासा व्यवसाय है।श्रीमती पदमा ने आग्रह किया था कि उनके दादा जी की जन्म भूमि भोजपुर के एड़ौरा गांव में जाकर उनके परिवार के बारे में जानकारी हासिल कर उन्हें सूचित करें। प्रो राय ने जब एड़ौरा गांव जाकर उनके परिजनों और गांव के निवासियों को सूरीनाम की जंग-ए-आज़ादी के नायक पलटू के बारे में जानकारी दी तो पलटू के वंशज और ग्रामवासी खुशी से झूम उठे।एड़ौरा गांव में पलटू के सगे भाई स्व गुरु भजन कहार के पोते रामनवमी प्रसाद जो पेशे से छोटे मोटे चिकित्सक हैं,ने बताया कि पहले तो सहसा उन्हें विश्वास
ही नहीं हुआ कि उनके सगे परिवार के लोग नीदरलैंड जैसी जगह में भी हो सकते हैं, लेकिन दूरभाष पर जब बातचीत हुई तो खुशी का ठिकाना न रहा।
एड़ौरा गांव के शिवजी ओझा, परमेश्वर राम, गुप्तेश्वर राम, ईश्वर यादव ने पलटू के इसी गांव के निवासी होने की पुष्टि की।जिस घर में उनका जन्म हुआ था, गांव में वह पुश्तैनी निशानी अभी मौजूद है। बकौल परमेश्वर राम आज भी पलटू के नाम पर दो कट्टा ज़मीन, जो दस्तावेज संख्या 2021 के अंतर्गत दर्ज है, है। दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी पलटू को भारत की ओर से उचित सम्मान मिलना चाहिए, इसके लिए ग्रामीण विगत डेढ़ दशक से प्रयत्नशील हैं। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने मुख्य सचिव बिहार सरकार से उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, मगर अभी तक परिणाम शून्य है।सवाल उठता है कि क्या दो देशों की जंग-ए-आज़ादी में सफल नेतृत्व करने वाले पलटू के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित नहीं हो पाएगा? अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी के साथ हम भारतीयों का बेइंसाफी होगी।आने वाली पीढ़ी कदाचित हमें माफ़ नहीं करेगी।
( दैनिक जागरण, पटना में दिनांक 9-7-2004 को प्रकाशित आलेख के आधार पर दिनांक 14-6-2017 को जारी ज्वलंत आलेख, इस आग्रह के साथ कि इसे विभिन्न ग्रूपों में इतना प्रसारित करें कि सरकार जंग-ए-आज़ादी के नायक पलटू को सम्मानित करने के लिए विवश हो जाए। )
— सौजन्य, अंगद किशोर जी, संयोजक पुरातत्व शोध परिषद ,जपला पलामू झारखंड मो नंबर 8540975076 इसी कड़ी मे 1 जनवरी 1818 का कोरेगांव संग्राम भी शामिल जिसमे 500 महरों (आज भी महरा , मेहरा नाम से जाने जाते है ) ने 25000 पेशवावों को हराया था लेकिन सामाजिक समीकरणों के बदलाव की वजह से आज लोगो इसकी जानकारी बहुत ही कम लोगो के पास है और चूंकि डॉ बी आर आंबेडकर भी इसी महार समाज से थे इसीलिए लोग इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकारने से डरते है । या यू समझो आजके चमारो के साथ अपने को जोड़ने से डरते है । लेकिन 1891 की पहली जनगणना के दस्तावेज तो यही कहते है ऐसा मैं इसलिए कहता हु क्यों की उस समय कहार के अंतर्गत आने वाली जातियो की सूची के अंतर्गत 10 वे क्रम पर महार का उल्लेख किया गया है इसीलिए मुझे भी इसबात को स्वीकार करने मे कोई दिक्कत नहीं हुयी जिस की एक विडियो भी यूट्यूब परmमौजूद है जिसकी लिंक पर आप भी देख सकते है। https://www.youtube.com/watch?v=eyJD2fXxzZI इस विडियो के सभी मान सम्मान और आर्थिक हिस्सेदारी मे मेरा किसी भी प्रकार का योगदान नहीं है और मैं लेना भी नहीं चाहता हु किसी भी प्रकार के वाद विवाद के लिए इस विडियो के यूट्यूबर महोदय का संपर्क करे मैं इसे सिर्फ समाज को जागृत और एतिहासिक जानकारी देने के लिए इसका सहयोग लिया है जिससे मैं किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं लूँगा ।
आगे भाग 3 मे हम सवर्णों के षणयंत्र को जानेंगे धन्यवाद
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अपने देश भारत में ऐसे भी सूरवीर हुए हैं, जिसने न केवल अपने देश की जंग-ए-आज़ादी में भाग ली, बल्कि दूसरे गुलाम देश को भी बतौर नायक आज़ाद कराया। उन्हीं सूरवीरों में से एक नायक थे-पलटू कहार।इस गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी की बड़ी ही हैरतअंगेज कहानी है। इस हैरतअंगेज सच्ची कहानी का पर्दाफाश तब हुआ,जब उनकी विदूषी और कवयित्री पोती श्रीमती पदमा के पति वहां अभियंता हैं। और 2003 में सूरीनाम में विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इतफाकन उस सम्मेलन में पलटू कहार की पोती श्रीमती पद्मा भी बतौर साहित्यकार उपस्थित थीं। उसने भारतीय कवि एवं साहित्यकार राम वचन राय को अपने दादा पलटू कहार की बहादुरी के हैरतअंगेज कारनामे सुनाए तो सहसा विश्वास नहीं हुआ। मगर सूरीनाम में स्थापित उस आज़ादी के नायक की प्रतिमा देखी तो आश्चर्य भी हुआ और भारतीय होने का गर्व भी।
बिहार के भोजपुर जिले के उदवंत नगर प्रखंड के एड़ौरा गांव में पलटू कहार का जन्म हुआ था। हट्टा कट्टा,निडर और जवान पलटू अंग्रेजी सरकार के खिलाफ उस समय बगावत पर उतर आए जब बंग भंग के खिलाफ भारतीय सपूतों ने आंदोलन का शंखनाद कर दिया था। पलटू से अंग्रेजी सरकार दहशत में थी। फलस्वरूप सुनियोजित तरीके से 25-5-1907 की रात एड़ौरा गांव से पलटू को गिरफ्तार कर लिया। काफी गुपचुप तरीके से की गई इस गिरफ्तारी की हवा गांव वालों को भी नहीं लगी। लोगों ने सोचा कि पलटू पुलिस के भय से अचानक कहीं चले गए या भूमिगत हो गये। इसके बाद उनका कुछ पता नहीं चला।आगे की कहानी पलटू की पोती श्रीमती पदमा ने राम वचन राय को बतलायी। 25-5-1907 को भोजपुर जिले के उदवंतनगर प्रखंड के एड़ौरा गांव से पलटू कहार की गिरफ्तारी के बाद अमानुषिक प्रताड़ना देते हुए गोरी सेना उन्हें लेकर कलकत्ता चली गई, जहां से बाद में उन्हें एक पानी के जहाज- जेस्टिस वन से समुद्र के रास्ते सूरीनाम स्थित अरकुरियन मलाई द्वीप पर ले जाकर छोड़ दिया गया था।
पलटू कई वर्षों तक उस द्वीप पर नर्क की जिंदगी जीते रहे।उसी दौरान लखनऊ के एक परिवार को उस द्वीप पर लाकर छोड़ दिया गया था।उस परिवार की एक महिला से युवा पलटू की शादी हुई और वंशबेल आगे बढ़ी।
कहा जाता है कि तेजस्विता कहीं छुपती नहीं है । जहां भी रहती है, हड़कंप मचाती है। फिर क्रांतिकारी पलटू कहां मानने वाले थे। फलस्वरूप सूरीनाम की जंग-ए-आज़ादी में कूद पड़े। उन्होंने सूरीनाम की जंग-ए-आज़ादी को एक नई दिशा और तेवर दिया। देखते देखते पलटू सूरीनाम की जंग-ए-आज़ादी के नायक बन चुके थे।
द्वितीय भाग
सूरीनाम के स्वतंत्रता आंदोलन के हीरो बन चुके पलटू के संघर्ष की कहानी सूरीनाम के स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित दस्तावेजों और वहां के इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।इतना ही नहीं, सूरीनाम में क्रांति नायक पलटू और वीरांगना उनकी लखनवी पत्नी की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई है।आज भले पलटू जीवित नहीं हैं मगर गर्व की बात है कि पलटू की वीरता की कहानियां और संघर्षशील जीवन की निशानियां भोजपुर से लेकर सूरीनाम तक मिलती हैं।
आज की तारीख में पलटू के परिजन नीदरलैंड के डेनहांग शहर में बस गए हैं। वहां उनका अच्छा खासा व्यवसाय है।श्रीमती पदमा ने आग्रह किया था कि उनके दादा जी की जन्म भूमि भोजपुर के एड़ौरा गांव में जाकर उनके परिवार के बारे में जानकारी हासिल कर उन्हें सूचित करें। प्रो राय ने जब एड़ौरा गांव जाकर उनके परिजनों और गांव के निवासियों को सूरीनाम की जंग-ए-आज़ादी के नायक पलटू के बारे में जानकारी दी तो पलटू के वंशज और ग्रामवासी खुशी से झूम उठे।एड़ौरा गांव में पलटू के सगे भाई स्व गुरु भजन कहार के पोते रामनवमी प्रसाद जो पेशे से छोटे मोटे चिकित्सक हैं,ने बताया कि पहले तो सहसा उन्हें विश्वास
ही नहीं हुआ कि उनके सगे परिवार के लोग नीदरलैंड जैसी जगह में भी हो सकते हैं, लेकिन दूरभाष पर जब बातचीत हुई तो खुशी का ठिकाना न रहा।
एड़ौरा गांव के शिवजी ओझा, परमेश्वर राम, गुप्तेश्वर राम, ईश्वर यादव ने पलटू के इसी गांव के निवासी होने की पुष्टि की।जिस घर में उनका जन्म हुआ था, गांव में वह पुश्तैनी निशानी अभी मौजूद है। बकौल परमेश्वर राम आज भी पलटू के नाम पर दो कट्टा ज़मीन, जो दस्तावेज संख्या 2021 के अंतर्गत दर्ज है, है। दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी पलटू को भारत की ओर से उचित सम्मान मिलना चाहिए, इसके लिए ग्रामीण विगत डेढ़ दशक से प्रयत्नशील हैं। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने मुख्य सचिव बिहार सरकार से उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, मगर अभी तक परिणाम शून्य है।सवाल उठता है कि क्या दो देशों की जंग-ए-आज़ादी में सफल नेतृत्व करने वाले पलटू के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित नहीं हो पाएगा? अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी के साथ हम भारतीयों का बेइंसाफी होगी।आने वाली पीढ़ी कदाचित हमें माफ़ नहीं करेगी।
( दैनिक जागरण, पटना में दिनांक 9-7-2004 को प्रकाशित आलेख के आधार पर दिनांक 14-6-2017 को जारी ज्वलंत आलेख, इस आग्रह के साथ कि इसे विभिन्न ग्रूपों में इतना प्रसारित करें कि सरकार जंग-ए-आज़ादी के नायक पलटू को सम्मानित करने के लिए विवश हो जाए। )
— सौजन्य, अंगद किशोर जी, संयोजक पुरातत्व शोध परिषद ,जपला पलामू झारखंड मो नंबर 8540975076 इसी कड़ी मे 1 जनवरी 1818 का कोरेगांव संग्राम भी शामिल जिसमे 500 महरों (आज भी महरा , मेहरा नाम से जाने जाते है ) ने 25000 पेशवावों को हराया था लेकिन सामाजिक समीकरणों के बदलाव की वजह से आज लोगो इसकी जानकारी बहुत ही कम लोगो के पास है और चूंकि डॉ बी आर आंबेडकर भी इसी महार समाज से थे इसीलिए लोग इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकारने से डरते है । या यू समझो आजके चमारो के साथ अपने को जोड़ने से डरते है । लेकिन 1891 की पहली जनगणना के दस्तावेज तो यही कहते है ऐसा मैं इसलिए कहता हु क्यों की उस समय कहार के अंतर्गत आने वाली जातियो की सूची के अंतर्गत 10 वे क्रम पर महार का उल्लेख किया गया है इसीलिए मुझे भी इसबात को स्वीकार करने मे कोई दिक्कत नहीं हुयी जिस की एक विडियो भी यूट्यूब परmमौजूद है जिसकी लिंक पर आप भी देख सकते है। https://www.youtube.com/watch?v=eyJD2fXxzZI इस विडियो के सभी मान सम्मान और आर्थिक हिस्सेदारी मे मेरा किसी भी प्रकार का योगदान नहीं है और मैं लेना भी नहीं चाहता हु किसी भी प्रकार के वाद विवाद के लिए इस विडियो के यूट्यूबर महोदय का संपर्क करे मैं इसे सिर्फ समाज को जागृत और एतिहासिक जानकारी देने के लिए इसका सहयोग लिया है जिससे मैं किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं लूँगा ।
आगे भाग 3 मे हम सवर्णों के षणयंत्र को जानेंगे धन्यवाद
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